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कविता - तेरी खुशबू

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एक कस्ती हैं फूलों से भरी और तैर रही है तेरी नदी में जो पसंद हो चुन लेना मैं जिंदा हूं तेरी खुस्बुओ में ।।

कविता - दो शब्द

बस सूखे थे पत्ते उसके आपने डाल सूखा समझ काट दिया थोड़ी जरूरत थी पानी की उसे आपने गंगा जल ही पिला दिया ।।