एक जमाना लगा था खुद को बनाते एक लम्हें में मैंने खुद को गवा दिया |
Posts
Showing posts from September, 2023
बचपन की नींदें
- Get link
- Other Apps
फिर से वही सुकून भरी सांसे माँ की गोद की वह एहसासे जंहा बेखौफ है मेरा निश्चल शरीर फिर से पाना चाहूंगी वो यादें दे दो प्रभु बचपन की वो नींदें आधुनिकता के इस दौड़ में थक गई मैं आज इस थकावट को दूर करने का कोई साधन नहीं मेरे पास नींदों में भी आँखे खुली रह जाती है सनसनी दुनियाँ का नजराना आँखों में आ जाती है नहीं आती मुझे बेखौफ सुकून सी नींदें हे प्रभु दे दो मुझे बचपन की वो नींदें गतिशीलता के इस जीवन में सांसों के एहसास को भी नहीं समझ प् रही शरीर में दर्द इतना की किस अंग में तकलीफे नहीं जान पा रही दर्द का न हो अहसास वो विश्राम मुझे दिला दे हे प्रभु बचपन की वो नींदें लौटा दे ||