कविता- भोर की आशा
उम्मीद काले अंधकार के बाद जब किरण सी आ दिखती है सुस्त प्राण चुस्त हो जीतने दुनियाँ को निकलती है काया कल्प निहारकर इत्र टाई डालकर योग्यता के पर्चें बाहों में दबाएं परिचय पत्र लटकाकर ...