mridula bhaskar gond एक आसमा बन जा चाँदनी से भरा और मैं चाँद बन जाऊ एक सपना बन जा हकीकत की तरह और मैं नींद बन जाऊ एक सागर बन जा लहरों से भरा और मैं नदी बन जाऊ बादल बन जा पानी से भरा और मैं जमी बन जाऊ बारिश बन जा मोती की तरह और मैं ताल बन जाऊ। ..
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Poetry on eyes
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आँखों में डूबे हैं सौं प्याले आँखों में डूबें हैं सौं प्याले तुम्हारे तुम इतने नशीले इन्हें बना आते हो एक द रिया सा लगता हैं ये तुम रोज इन्हें और गहरा कर आते हो डरती हूँ पास जाने से इसके पर तुम कोई आकर्षण दिखा जाते हो लिखते हो तुम इनमें कोई कागज़ की तरह आँसुओं को स्याही में उतार आते हो पड़ती है मेरी नज़रे इन्हें पर पर अनपढ़ करार कर देती हैं और तुम वही जिद्दी किस्म के सामने मेरे आ बैठ जाते हो और एक नया अध्याय लिए इन नज़रो