मेरा भी घर
मेरा भी घर
सपनों में भी न हिम्मत हो चाहने को
ऐसी एक चाहत मेरा घर
सूरज की तेज किरणों से
बारिश की तेज झरनों से
मुझको बचाये ऐसा घर
मेरी चाहत मेरा घर
छोटा हो कोई बात नहीं
टूटा सा हो कोई परवाह नहीं
घिरा हो चार दीवारों से
और मेरे सिर पत एक छत
मेरी बस चाहत मेरा घर
दिनभर के इस थकान को
इस कोयले सी जान को
ले जाऊ कहां जहां न कोई डर
मेरी चाहत मेरा घर
इन्सान के इस अर्थ में
मेरी परिभाषा भी ले जाओ कोई
कमाता हूँ, खाता हूँ, रोता हूँ और गुनगुनाता हूँ
ऊपर पुल है और बगल सड़क
न परिवार है न आधार है।
कैसे पूरा होगा तेरा वर
तेरी चाहत मेरा घर ।
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