एक मुलाकात

mridula bhaskar gond




लम्बे  दिनों बाद 
फिर उनसे मुलाक़ात  हुई 
मिली नज़रे  लेकिन 
उनसे न कोई बात हुई 

मैं उन्हें पहचानते रह सी गई 
और वो मुझे पहचानते रह से गए 
देखते ही देखते 
हम दो पल अनजाने रह गए 

उस सफ़र के कुछ पल को 
चुराने का मन था 
पर एक पल आँख झुकी 
देखा वो जाने लगे 

जी भर उठा 
लगा, जोर की आवाज लगा दूँ 
पर उनका नाम क्या था ?
बस आँखे उन्हें दूर तक निहारने लग गए 

न जाने फिर कब होगी मुलाक़ात उनसे 
अब नए अफ़साने हम बनाने लग गए 

हम तो छोड़ गए उन्हें ,उनकी यादों के साथ 
कुछ ऐसा हो की उन्हें ,हम याद  आने लगे  || 

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