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हवा

कुछ इस पार कुछ उस पार रोज सुनाई देती कुछ आवाजें कभी दस्तक दे जाती  हां कभी ठहर जाती  कभी मुझसे प्यार दुलारती कभी रूठी रह जाती कभी सहमी सी मुझे डराती कभी जाते जाते फिर रुक जाती रहना तो है उसे दोनों के छाव कुछ इस पार कुछ उस पार
रोज हम एक नए इन्सान होते है  जो कल से ज्यादा समझदार और निखरे होते है  और रोज एक नया पन्ना होता है आपके सामने तो शुरुआत करे न ,आज को अपना बना ले ।।