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कविता - एक अजीब सा एहसास होता है
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एक अजीब सा अहसास होता है कोई नहीं जब साथ होता है यूं ही बदहवास सा होता है एक खामोशी सा पास होता है न कुछ पाने का आस होता है न कुछ छूट जाने का आभास होता है शून्य हो जाती इच्छाओं की ढेर जो है जितना है पर्याप्त होता है क्या है, कुछ है ,जैसा है ,क्यों हैं जीवन जैसे कोई उपन्यास हो जाता है सागर के रेत बिछौने पर हाथ सिरहाने रख लेट जाते हैं आसमां पर नज़रे टिकाए भाव शून्य जैसे हो जाते हैं और सोचता ये मन अपना कोई क्या हरदम पास होता है बस अपने सासों का अहसास होता है।।
कविता- झूलसा मन
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जीवन तपन जीवन के इस अंगार में तप रहा मन मेरा आग की ज्वाला में झुलस रहा तन मेरा और न तू हवा चला इस दर्द को न बढ़ा आग की चिंगारियों को यू लपटों में न चढ़ा नहीं गिरा पानी की बूंदें और न तू मुझपे रहम दिखा तेरे हर उपचार में मेरा दर्द है और बढ़ा अब प्रार्थना है तुझसे मेरी और न कोई सितम दिखा सूरज के इस ताप को अब तो बादलों में छिपा।
कविता- सोच कोई शब्द नया
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कुछ अपना सोच कोई शब्द नया दिलो की उमंगें जवा बादलों को पंख मिले बरसती ये जंहा फिरे कागज़ के इस नाव को तू ऐसे न सागर में गिरा दिलों के ताल खोल के बना ले कोई सागर नया समय के इस रफ़्तार को जाना कहाँ क्या पता छोड़ तू इस हिसाब को घड़ी कोई अपना बना सपनों के ओस बूंदों को अब तो जमी पे गिरा नींद को सिरहाने पर रख सपना कोई अपना बना ।
कविता- यादों की स्याही
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यादों की स्याही यूँ ही जब कभी शांत से बैठतें हैं मन कुछ सोचनें को, मजबूर हो जाता हैं गणनाएं करता रहता अनेंक विचारों को खुरदता , झांकता पलटने लगता उन पन्नों को और बस उन पुराने , पन्नों में खो जाता कभी हँसता , कभी उदास सा हो जाता और सोचता कभी संभव हो पीछे जा कुछ सुधार कर आता पर अब ये , संभव कहाँ जानता वो यह भी। हाँ पन्ने अभी और बाकीं हैं नए रंगों में सजनें को नए रचनाएँ करने को न हो कोई निराशा, न हो कोई खेद जब फिर कभी बैठूंगी पलटने, इन यादों के पन्नों को ।
Poetry on eyes
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आँखों में डूबे हैं सौं प्याले आँखों में डूबें हैं सौं प्याले तुम्हारे तुम इतने नशीले इन्हें बना आते हो एक द रिया सा लगता हैं ये तुम रोज इन्हें और गहरा कर आते हो डरती हूँ पास जाने से इसके पर तुम कोई आकर्षण दिखा जाते हो लिखते हो तुम इनमें कोई कागज़ की तरह आँसुओं को स्याही में उतार आते हो पड़ती है मेरी नज़रे इन्हें पर पर अनपढ़ करार कर देती हैं और तुम वही जिद्दी किस्म के सामने मेरे आ बैठ जाते हो और एक नया अध्याय लिए इन नज़रो